कनाडा में वर्क परमिट का संकट: सात लाख भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में
परमिट की समाप्ति से खतरे में लाखों का भविष्य
कनाडा में 2025 के अंत तक लगभग 50 लाख अस्थायी वर्क परमिट समाप्त हो जाएंगे, जिनमें से 7 लाख भारतीय हैं। इनमें से अधिकांश पंजाबी समुदाय से हैं। कनाडा सरकार की सख्त नीतियों के चलते इन परमिट्स की अवधि बढ़ाने की संभावना बेहद कम नजर आ रही है। वर्क परमिट की अवधि समाप्त होने पर इन लोगों को कनाडा छोड़ना होगा।
विद्यार्थियों का सपना अधूरा
भारत के लाखों विद्यार्थी कनाडा में पढ़ाई और लाखों रुपये खर्च कर स्थायी निवास (PR) और नागरिकता पाने का सपना लेकर आए थे। लेकिन अब वे बड़ी निराशा का सामना कर रहे हैं। कनाडा सरकार अस्थायी वर्क परमिट के नवीनीकरण पर सख्त रुख अपना रही है। पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट जैसे कार्यक्रमों में देरी और सख्ती के कारण कई विद्यार्थी असमंजस में हैं।
परविंदर मोंटू के तीन विकल्प
कनाडा के इमिग्रेशन विशेषज्ञ परविंदर मोंटू ने बताया कि ऐसे लोगों के पास अब केवल तीन विकल्प बचे हैं:
- कनाडा छोड़कर किसी अन्य देश में काम करें।
- वर्क परमिट की अवधि बढ़ जाए (जो मुश्किल लग रहा है)।
- अवैध रूप से कनाडा में रहने का जोखिम उठाएं।
परविंदर मोंटू का कहना है कि सरकार की सख्त नीतियां संकेत दे रही हैं कि जिनका वर्क परमिट समाप्त हो रहा है, उन्हें देश छोड़ना पड़ेगा।
सरकार की नई नीतियां और प्रदर्शन
कनाडा में अस्थायी वर्क परमिट आमतौर पर 9 महीने से 3 साल तक की अवधि के लिए दिए जाते हैं, ताकि विद्यार्थी पढ़ाई के बाद अनुभव प्राप्त कर सकें। लेकिन अब कनाडा सरकार ने इन परमिट्स को नवीनीकरण करने की प्रक्रिया को कठिन बना दिया है।
पंजाब के छात्रों ने ब्रैम्पटन में कनाडा की बदलती नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किए। लेकिन सरकार ने कोई रियायत नहीं दी, बल्कि नियमों को और कठोर बना दिया है।
आंकड़े और मौजूदा हालात
कनाडाई इमिग्रेशन विभाग के मुताबिक, मई 2023 तक कनाडा में 10 लाख से अधिक विदेशी छात्र थे। इनमें से लगभग 4 लाख छात्रों के पास पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट था, जो 2023 के अंत तक समाप्त होने वाला था। इसके अलावा, लाखों की फाइलें दूतावासों में लंबित हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
विद्यार्थियों के लिए बड़ा सवाल
यह स्थिति न केवल भारतीय विद्यार्थियों बल्कि अन्य देशों से आए छात्रों के लिए भी चिंता का विषय बन चुकी है। सरकार की सख्ती और नीतियों में बदलाव ने इन युवाओं के सपनों को अधर में लाकर खड़ा कर दिया है। क्या कनाडा इन छात्रों के भविष्य के लिए कोई राहत प्रदान करेगा, या उन्हें अपने सपनों को अलविदा कहना पड़ेगा? यह सवाल हर विद्यार्थी के मन में है।
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